Zehen main paani ke baadal agar aaye hote-Waseem Barelvi

Zehen main paani ke baadal agar aaye hote-Waseem Barelvi

ज़हन में पानी के बादल अगर आये होते



ज़हन में पानी के बादल अगर आये होते
मैंने मिटटी के घरोंदे ना बनाये होते
धूप के एक ही मौसम ने जिन्हें तोड़ दिया
इतने नाज़ुक भी ये रिश्ते न बनाये होते


डूबते शहर मैं मिटटी का मकान गिरता ही
तुम ये सब सोच के मेरी तरफ आये होते
धूप के शहर में इक उम्र ना जलना पड़ता
हम भी ए काश किसी पेड के साये होते

फल पडोसी के दरख्तों पे ना पकते तो वसीम
मेरे आँगन में ये पत्थर भी ना आये होते



Comments